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रोहिंग्या शरणार्थियों को जाना ही होगा। 

( कर्ण हिंदुस्तानी )
आखिरकार केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के प्रति अपना रवैय्या स्पष्ट कर ही दिया। हिन्दुस्तान में रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने के कई पक्षधर हैं , इन लोगों के भी मुँह पर मोदी सरकार के हलफनामे ने ज़ोरदार चपत लगाई है। म्यांमार के मूल निवासी बौद्ध भिक्षुओं को इस हद तक इन मुस्लिमों ने सताया कि आखिरकार शांत रहने वाला बौद्ध भिक्षुक अचानक उग्र हो उठा और उसने रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपना लिया। इन रोहिंग्या मुस्लिमों ने बौद्ध भिक्षुओं की माँ – बहनों और बेटियों के साथ जो अत्याचार किये हैं वह यहां लिखने तक के लायक नहीं हैं। अब जब बौद्ध भिक्षुक अपने अस्तित्व की लड़ाई के के लिए हिंसा पर उतर आए तो रोहिंग्या मुस्लिम दुम दबाकर हिन्दुस्तान में भाग आये हैं। इनकी करनी का फल इनको मिलना ही चाहिए। हिन्दुस्तान को एक बड़ा शरणार्थी शिबिर समझने वालों को यह जान लेना चाहिए कि केंद्र में कोई मुस्लिम परस्त सरकार नहीं बैठी है जो इनकी खातिरदारी करेगी और अपना वोट बैंक बढ़ाएगी। पिछले साठ सालों से अल्पसंख्यकों को अपना वोट बैंक बनाने के चक्कर में बहुसंख्यकों को लाचार बनाने वाले अब इन रोहिंग्या के मुस्लिमों के बहाने मानवाधिकार की बातें करने लगे हैं। अकबर को महान बता कर महाराणा प्रताप का इतिहास गायब करने वाले , विनायक दामोदर सावरकर को अंग्रेज़ों से माफी मांगने वाला बताने वाले , भगत सिंह को आतंकवादी बताने वाले , चंद्रशेखर आज़ाद को धोखे से आत्महत्या के लिए मज़बूर करने वाले , देश को आपातकाल के अँधेरे में धकेलने वाले , निर्दोष खालसा पंथियों का क़त्ल ए आम करने वालों के मुँह पर मोदी सरकार ने जो हलफनामे का तमाचा जड़ा है वह अपने आप में देश की सुरक्षा और खुशहाली की दिशा में उठाया  गया महत्वपूर्ण कदम है।

जाना ही होगा।

आखिरकार केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के प्रति अपना रवैय्या स्पष्ट कर ही दिया। हिन्दुस्तान में रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने के कई पक्षधर हैं , इन लोगों के भी मुँह पर मोदी सरकार के हलफनामे ने ज़ोरदार चपत लगाई है। म्यांमार के मूल निवासी बौद्ध भिक्षुओं को इस हद तक इन मुस्लिमों ने सताया कि आखिरकार शांत रहने वाला बौद्ध भिक्षुक अचानक उग्र हो उठा और उसने रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपना लिया। इन रोहिंग्या मुस्लिमों ने बौद्ध भिक्षुओं की माँ – बहनों और बेटियों के साथ जो अत्याचार किये हैं वह यहां लिखने तक के लायक नहीं हैं। अब जब बौद्ध भिक्षुक अपने अस्तित्व की लड़ाई के के लिए हिंसा पर उतर आए तो रोहिंग्या मुस्लिम दुम दबाकर हिन्दुस्तान में भाग आये हैं। इनकी करनी का फल इनको मिलना ही चाहिए। हिन्दुस्तान को एक बड़ा शरणार्थी शिबिर समझने वालों को यह जान लेना चाहिए कि केंद्र में कोई मुस्लिम परस्त सरकार नहीं बैठी है जो इनकी खातिरदारी करेगी और अपना वोट बैंक बढ़ाएगी। पिछले साठ सालों से अल्पसंख्यकों को अपना वोट बैंक बनाने के चक्कर में बहुसंख्यकों को लाचार बनाने वाले अब इन रोहिंग्या के मुस्लिमों के बहाने मानवाधिकार की बातें करने लगे हैं। अकबर को महान बता कर महाराणा प्रताप का इतिहास गायब करने वाले , विनायक दामोदर सावरकर को अंग्रेज़ों से माफी मांगने वाला बताने वाले , भगत सिंह को आतंकवादी बताने वाले , चंद्रशेखर आज़ाद को धोखे से आत्महत्या के लिए मज़बूर करने वाले , देश को आपातकाल के अँधेरे में धकेलने वाले , निर्दोष खालसा पंथियों का क़त्ल ए आम करने वालों के मुँह पर मोदी सरकार ने जो हलफनामे का तमाचा जड़ा है वह अपने आप में देश की सुरक्षा और खुशहाली की दिशा में उठाया  गया महत्वपूर्ण कदम है।

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