नोटबंदी का असर: दो-तिहाई छोटे विक्रेता स्वीकार करने लगे कैशलेस भुगतान
(आकाश आनंन्द)
नोटबंदी के बाद कैशलेस लेनदेन के प्रति छोटे कारोबारियों का नजरिया तेजी से बदला है। पहले ज्यादातर कारोबारी जहां डिजिटल लेनदेन के प्रति संकोच करते थे, वहीं नोटबंदी के बाद वे कैशलेस भुगतान खुशी-खुशी स्वीकार करने लगे। सेंटर फॉर डिजिटल फाइनेंशियल इंक्लूजन (सीडीएफआइ) के एक अध्ययन के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के 63 फीसद फुटकर व्यापारी डिजिटल ट्रांजैक्शन शुरू करने को तैयार हैं। अध्ययन दो चरणों में किया गया था। नोटबंदी से पहले और इसके बाद हुए अध्ययन से पता चलता है कि डिजिटल लेनदेने के लिए इच्छुक फुटकर व्यापारियों का अनुपात तेजी से बढ़ा।
सीडीएफआइ के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णन धर्मराजन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरु की डिजिटल इनोवेशन लैब के प्रिंसिपल आर्किटेक्ट शशांक गर्ग ने इस अध्ययन की अगुआई की है। धर्मराजन का कहना है कि हमने दो साल पहले यह जानने के लिए अध्ययन शुरू किया था कि किराना स्टोर कितने कैशलेस हैं। जानने की कोशिश की गई कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने वाले और रुकावट डालने वाले कारक क्या हैं और किराना स्टोर के आसपास ईकोसिस्टम कैशलेस है या नहीं। स्टडी का मकसद यह जानना था कि किसी गरीब को तकनीक आधारित लेनदेन के केंद्र में कैसा लाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जब अध्ययन चल रहा था, उसी समय आठ नवंबर को सरकार ने नोटबंदी लागू कर दी। इसके बाद हमें अपने अध्ययन को इसके साथ समायोजित करना पड़ा। लेकिन इससे हमारे अध्ययन को एक स्पष्ट पहलू मिल गया। हमने इस पर गौर किया कि खुदरा दुकानदारों के लेनदेन में अनायास क्या परिवर्तन आया। अध्ययन में बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। नोटबंदी के बाद 63 फीसद दुकानदार डिजिटल लेनदेन करने लगे जबकि इससे पहले सिर्फ 31 फीसद लोग कैशलेस लेनदेन को तैयार थे।
डिजिटल लेनदेन के लिए दुकानदारों के राजी होने से यह पता नहीं चलता है कि वास्तव में डिजिटल लेनदेन कितना हो रहा है। इस साल मार्च तक वास्तविक कैशलेस लेनदेन सिर्फ 11 फीसद था जबकि बातचीत में 63 फीसद विक्रेताओं ने डिजिटल लेनदेन के लिए रजामंदी जताई थी। 11 फीसद कैशलेस लेनदेन शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दर्ज किये गये। लेकिन नोटबंदी से यह बात जरूर स्पष्ट रूप से दिखाई कि ज्यादा लोग डिजिटल लेनदेन के लिए तैयार होने लगे।1नोटबंदी के बाद कैशलेस लेनदेन में तेजी आई तो वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में दस लाख प्वाइंट ऑफ सेल यानी स्वाइप मशीनें उपलब्ध कराने की घोषणा की। अध्ययन में इस तथ्य पर गौर किया गया है कि देश में 91 फीसद लोगों के पास मोबाइल फोन हैं। जबकि 41 फीसद लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। कैशलेस लेनदेन अपनाने के लिए यह काफी अच्छा आधार है।
डिजिटल ट्रांजैक्शन में बाधाओं के बिंदु पर सीडीएफआइ का कहना है कि बैंक में चालू खाता खोलने अभी भी काफी पेचीदा काम है। फुटकर दुकानदारों के मन में भय रहता है कि डिजिटल लेनदेन से वे कर अधिकारियों की नजर में आ जाएंगे। हालांकि दुकानदारों के लिए यह फायदे की भी बात है कि ज्यादा डिजिटल लेनदेन से उन्हें बैंकों से कर्ज मिलने की संभावना बढ़ती है क्योंकि उनकी पात्रता में सुधार होता है। इससे कारोबार को विकसित होने का मौका भी मिलता है।