google-site-verification: googled7b5055a55096bfc.html
FEATUREDLatest

आखिर डोम्बिवली के साथ सौतेला व्यवहार क्यों होता है ?

(कर्ण हिन्दुस्तानी )
अपनी संस्कृति और शैक्षणिक पहचान रखने वाली डोम्बिवली के साथ सौतेला व्यवहार आखिर क्यों होता है ? क्यों डोम्बिवली के मुहाने पर आकर विकास की नाव रोक दी जाती है ? क्यों डोम्बिवली का औद्योगिक क्षेत्र नागरिकों की जान लेने वाला साबित होता जा रहा है ? इन सवालों का जवाब डोम्बिवली के किसी भी राजनीतज्ञ के पास क्यों नहीं है ? क्यों सभी दल और ख़ास कर डोम्बिवली के विधायक महोदय इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।

यह भी पढ़े – कौन लौटाएगा डोंबिवली को उसका सौंदर्य ?

किसी जमाने में डोम्बिवली आस पास के कई शहरों के युवकों को पालने वाली नगरी कहलाती थी। डोम्बिवली स्थित महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल के दोनों फेस किसी जमाने में विभिन्न प्रकार के कारखानों से सुसज्जित हुआ करते थे और दोनों फेस में चलने वाले कारखानों में लाखों लोग नौकरी करा करते थे।  आज हालात यह हैं कि इन कारखानों को बंद करके शॉपिंग मॉल या फिर होटल खोल दिए गए हैं , महामंडल की जमीनों पर अवैध रूप से इमारतें खड़ी हो गई हैं।

यह भी पढ़े – डोम्बिवली विधानसभा से शिक्षित और स्वच्छ छवि वाला उम्मीदवार की जीत पक्की – आप नेता दीपक दुबे

जो इक्का दुक्का कारखाने चल रहे हैं वह मौत की दुकानों की तरह ही हैं।  कभी भी धमाका होता है और कई  किलोमीटर तक लोग प्रभावित हो जातें हैं। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की बात करनी ही बे इमानि है।  एम आई डी सी के दोनों के मध्य में जो जगह पेड़ लगाने के लिए राखी गई थी वहाँ आज निवासी विभाग है।  बड़े बड़े लोगो ने अपने बंगले बनाये हुए हैं।  यदि कभी किसी रासायनिक कारखाने में किसी जहरीली गैस का रिसाव हुआ तो सबसे पहले इसी निवासी विभाग के लोग मौत का ग्रास बनेंगे। डोम्बिवली पूर्व जो कभी सबसे सुरक्षित और स्वच्छ माना जाता था।

यह भी पढ़े – २७ गावो में अवैध निर्माणों के भ्रष्ट्राचार खत्म होने का नाम नही.

आज की तारीख में सबसे ज्यादा व्यवधान वाला क्षेत्र बन गया है।  सुबह और शाम को डोम्बिवली स्टेशन से चार रस्ते तक कभी कभी आधा घंटे का समय लग जाता है , इसके बाद शिरोडकर चौराहे पर अटकना रोज की बात है। स्टेशन के बाहर आज भी फेरी वाले कब्जा जमाये बैठे हैं।  अब दिवाली में स्टेशन के बाहर ही पटाखों की दुकाने सज जाएंगी। स्टेटों की लिफ्ट ना जाने कब से बंद पड़ी है , मगर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

यह भी पढ़े – भाजपा से झुनझुना लेकर नाच रहे हैं उत्तर भारतीय नेतागण

आखिर डोम्बिवली के नागरिकों ने कौन सी गलती की है कि राजयमंत्री स्तर का विधायक यहां होने के बावजूद डोम्बिवली वासियों को समस्याओं से रोज जूझना पड़ता है।  प्रदूषण से लड़ना पड़ता है , रोजमर्रा  की सुविधाओं के लिए भी नेताओं की तरफ याचक बनकर देखना पड़ता है। आखिर डोम्बिवली के साथ क्यों होता है सौतेला व्यवहार ? यह सवाल डोम्बिवली के नागरिक पूछ रहे हैं।  मगर जवाब देने वाला कोई नहीं है

यह भी पढ़े – शिवसेना ने कल्याण पूर्व और पश्चिम पर दावा ठोका, अन्यथा बगावत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *