धोखा है चुनाव पूर्व घोषणाबाजी और भूमिपूजन
(मुंबई आसपास बयूरो )
चुनावों का बिगुल बजते ही पूरे राज्य में सत्ताधारियों ने विकास कार्यों का तूफ़ानी भूमिपूजन शुरू कर दिया है। चारों तरफ बस भूमिपूजन हो रहे हैं। जनता को लुभाने वाले होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैं। भरी बरसात में विधायक गण भूमिपूजन कर रहे हैं। जनता को पुचकारने और अपनी तरफ खेंचने की खातिर हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
यहां तक कि मतदाताओं के घर बच्चा पैदा होने पर बधाई देने तक लोकप्रतिनिधि पहुँच रहे हैं। जनता को इसी में ख़ुशी महसूस हो रही है। जनता को शहर की तकलीफों से दूर ले जाकर प्यार की झप्पी दी जा रही है। मगर फिर भी यक्ष प्रश्न वहीँ बरकरार रहता है कि जो घोषणाएं चुनावी बयार में की जा रहीं हैं उनको पूरा कब किया जाएगा ?
टूटी सड़कें , खराब नियोजन , पेयजल सहित मूलभूत सुविधाओं से वंचित जनता अपना दुखड़ा किसको सुनाए। मनपा अपना पल्ला झाड़ते हुए महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवेलोपमेंट कारपोरेशन पर ऊँगली उठाती है तो एम एम आर डी ए की निधि से बनने वाली सड़कों की शिकायत किस्से की जाए यह किसी को पता ही नहीं है। लोगों को करोड़ों का बजट बता कर खुश किया जा रहा है। मगर जनता नहीं जानती कि इस करोड़ों की निधि से होने वाले कार्यों की निविदा कब निकली ?
एक तरफ तो निधि मंजूर होने के होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैं तो दुसरी तरफ इस निधि से होने वाले कार्यों का भूमिपूजन किया जा रहा है। यदि निधि सिर्फ मंजूर हुई है तो कार्यों का भूमिपूजन कैसे सम्भव है ? निधि मंजूरी के बाद संबंधित कार्यों की निविदा आमंत्रित की जाती है उसके बाद कार्य शुरू होने पर भूमिपूजन किया जाता है। मगर यहां तो निधि मंजूर होने के होर्डिंग्स लगाकर भूमिपूजन किया जा रहा है , क्या यह लोगों की आँखों में धुल झोंकने का कार्य नहीं है ? ऐसी घोषणाएं चुनावी होती हैं और चुनाव संपन्न होने के बाद विलुप्त भी हो जातीं हैं। जनता को यह बात ना जाने कब समझ आएगी।