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जो ब्‍लड बैंक खून का धंधा करते हैं उनके रक्‍तदान शिबीर में रक्‍तदान न करें

देश की जनता रक्‍तदान इसलिए करती है कि लोगों की जानें बचाई जा सकें और आवश्‍यकता होने पर मरीजों या घायलों को मुफ्त रक्‍त दिया जा सके परंतु वही ब्‍लड बैंक यदि खून का धंधा करने लगे तो रक्‍तदाताओं का विश्‍वास उठ जाता‍ है और ऐसे में लोग रक्‍तदान करने में दस बार सोचने लगते हैं।

सूत्रों के मुताबिक कल्‍याण रेलवे स्‍टेशन पर वर्ष में कई बार यहां का ब्‍लड बैंक संकल्‍प कैंप लगाता है और सैकड़ों यूनिट रक्‍त मुफ्त में एकत्र करता है। जनता रक्‍तदान इसलिए करती है कि ये रक्‍त रेड क्रॉस सोसायटी को या किसी धर्मार्थ सोसायटी को जाएगी जहां से जरुरतमंदों को मुफ्त में रक्‍त दिया जाएगा परंतु रेलवे दुर्घटना में घायल मरीजों को रक्‍त देने में असमर्थता दिखाए या उसके लिए मनमानी पैसा वसूले तो उस पर से जनका का विश्‍वास उठ जाता है।

रेलवे प्रशासन या स्‍थानीय प्रशासन को यह नियम बनाना चाहिए‍ कि जब रेलवे प्‍लेटफार्म पर कैंप लगाकर संकल्‍प जैसी संस्‍था सैकड़ों यूनिट रक्‍त मुफ्त में ले जाती है तो कम से कम कल्‍याण में रेल दुर्घटना में घायल मरीजों को वे मुफ्त में रक्‍त की आपूर्ति करें।

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यदि ऐसा नहीं करते हैं तो जनता में यह संदेश जाना चाहिए कि उनके द्वारा किया हुआ रक्‍तदान क्‍यों बेचा जाए। मुफ्त में दानस्‍वरूप एकत्र किया गया रक्‍त का व्‍यापार नहीं होना चाहिए। आगे से रेलवे प्रशासन को निजी ब्‍लड बैंक को अपने परिसर में कैंप लगाकर रक्‍तदान को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

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