कल्याण का रुकमणी बाई अस्पताल सफेद हाथी साबित हुआ है
कल्याण का सरकारी अस्पताल रुक्मणीबाई अस्पताल आज न केवल जनता के लिए बल्कि सरकार के लिए भी मात्र एक सफेद हाथी बनकर रह गया है या यूं कहिंए कि सरकारी खानापूरी करने के लिए तथा कागजी कार्रवाई करने मात्र के लिए रह गया है। इस कागजी कार्रवाई में रोगी या घायल व्यक्ति का इलाज तो नहीं होता लेकिन मौत का इंतजाम जरूर हो जाता है।
हालही में कल्याण रेलवे स्टेशन पर सुबह साढे सात बजे मोहन अग्रवाल नामक यात्री प्लेटफार्म संख्या 1ए से गिरकर पटरी पर चले गए जिससे उनके दोनों पांव जख्मी हो गया। ऐसी स्थिति में रेलवे के अनाधिकृत हमालों द्वारा स्ट्रेचर पर उन्हें रुक्मणी अस्पताल ले जाया गया जहां पर बेड उपलब्ध होने के बावजूद भी स्ट्रेचर को जमीन पर ही रखकर केवल स्लाइन चढाया गया।
रक्त का बहाव काफी हो गया था इसलिए स्थिति खराब होते देख उनके परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल में ले जाने की पेशकश की परंतु कागजी कार्रवाई के कारण उन्हें काफी समय तक स्लाइन पर ही रखा गया। इस दौरान न तो उनका प्राथमिक इलाज ही किया गया और न ही चोटिल अंगों की साफ-सफाई की गई। तकनीकी कारण चाहे जो भी हो, परंतु यदि उन्हें वहां से शिफ्ट नहीं किया गया होता या उनके परिजन नहीं होते तो मरीज़ बेमौत मारा जाता।
ताज्जुब की बात तो यह है कि यहां कई एंबुलेंस और निजी अस्पतालों के दलाल मौजूद रहते हैं जो रोगी को वहां शिफ्ट करने की सिफारिश भी करते हैं। एंबुलेंस वालों की खींचातानी है जो अलग। सामान्य ग्रूप का रक्त जो प्राय: हर जगह मिल जाता है यानी बी पोजिटिव, वह भी वहां नहीं मिल पाया और जहां मिल पाया वहां मनमानी रकम वसूली गई।
किसी तरह सरकारी कागजी कार्रवाई पूरा करके उन्हें एक निजी अस्पताल आयुष में भर्ती किया गया जहां ऑपरेशन के बाद घुटने के ऊपर से दोनों पैर काटने पड़े। दुर्घटना होने के बारे में उनके परिजनों की कोई शिकायत नहीं है क्योंकि यह किसी के साथ कभी भी कहीं भी घट सकती है परंतु लापरवाही और अनावश्यक खानापूरी जानलेवा होती है।
अब सवाल यह उठता है आखिर रुक्मणीबाई अस्पताल की भूमिका है और यदि यह अस्पताल सरकारी सफेद हाथी ही है जो केवल सरकारी कागजी कार्रवाई करती है और पुलिस रिपोर्ट वगैरह तैयार करवाती है तो कल्याण रेलव स्टेशन पर एम्स अस्पताल की इकाई क्यों खोली गई है जो ऐसे आपातकालीन मामलों को नहीं देख सकती। रेल प्रशासन को एम्स अस्पताल की कल्याण रेलवे यूनिट की भूमिका स्पष्ट करनी होगी और जनता में यह बात जानी चाहिए कि आखिर यह है किसके लिए ??