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कल्याण के रुक्मणी बाई मनपा अस्पताल के डॉक्टरों में असंतोष

कल्याण स्थित रानी रुक्मणी बाई अस्पताल में बढ़ते कार्य दबाव एवं राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण अस्पताल के डॉक्टरों में असंतोष की भावना पनप रही है जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकती है।

सूत्रों के अनुसार कल्याण के आसपास के ३६ गांव एवं दिवा, कसारा ,कर्जत से प्रतिदिन करीबन एक हजार से ज्यादा मरीज अपना इलाज कराने आते है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में हुये रेल दुर्घटना एवं आकस्मिक मौत का पोस्टमार्टम भी यही होता है।

लेकिन इस अस्पताल में डॉक्टर की संख्या कुल २१ है जिसमें से १६ एम.बी बी.एस डॉक्टर एवं ५ बी.ए.एम.स डॉक्टर है। मजे की बात यह है कि दोपहर २ बजे से सुबह ८ बजे तक एक ही डॉक्टर और एक ही नर्स सभी दुर्घटना ग्रस्त मरीजो, एवं पोस्टमार्टम का काम देखते है

अब इससे अंदाजा लगाना वेहद आसान है कि डॉक्टर अपना काम कितनी जिम्मेदारी से निभा पाते होंगे। किसी दुर्घटना में घायल मरीज आता है तो डॉक्टरों को ऐसा लगता है कि यह परेशानी कहा से आगयी। वे उसे दूसरी तरफ धकेलने में लग जाते है, और जिंदगी और मौत से लड़ रहे उस मरीज को कलवा ,ठाणे भेज के अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा लेते है

क्योंकि इस सुविधा विहीन अस्पताल में नाही डाक्टरों के पास इन दुर्घटना ग्रस्त मरीजो को देखने का समय होता है और नाही समान, जिससे वे ऐसे मरीज का इलाज व्यवस्थित रूप से कर सकें। इसके साथ इन डॉक्टरो के सिर पर जेल में सजा भुगत रहे कैदियों का भी देखने का जिम्मा भी रहता है,

जबकी इस अस्पताल में सुविधा के नाम पर मरीजो तक को बैठने की भी ढंग की जगह नहीं है। काफी समय से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं थाना क्षेत्र के रहवासी शास्त्री नगर जनरल अस्पताल, डोम्बीवली में भी पोस्टमार्टम  रूम एवं शवगृह स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं लेकिन राजनैतिक दबाव होने के कारण वह संभव नहीं हो पा रहा है,

यदि डोम्बीवली के शास्त्री नगर अस्पताल,में ऐसा हो जाता है तो पोस्टमार्टम का भार भी कल्याण में कम हो जायेगा। इतना बड़ा अस्पताल होने के बावजूद भी मरीजों एवं रिश्तेदारों के अपने नंबर तक आने के लिये बैठने की व्यवस्था नहीं है।

अभी हाल में ही अग्रवाल समाज कल्याण ने मरीजों एवं उनके रिश्तेदार खासकर पोस्टमार्टम के लिये बॉडी के साथ आये सगे संबंधियों के लिये बैठने की व्यवस्था की है, कल्याण डोम्बिवली मनपा स्वास्थ विभाग को तो इनकी बिल्कुल चिंता नहीं थी,

मजे की बात तो यह है कि इस अस्पताल में सुरक्षा की व्यवस्था केवल दिखाने की है, कौन आ रहा है कौन जा रहा है सुरक्षाकर्मियों को कोई मतलब नहीं है, इसके साथ अस्पताल परिसर अवैध पार्किंग का अड्डा बनता जा रहा है, जिसको कोई रोकने वाला नहीं है,

इस अस्पताल में आये गंभीर मरीजों को यहाँ से अन्य अस्पताल में भेजने के लिये वाहन की व्यवस्था (दलाली) करने में वहां के कर्मचारी तन मन से सहयोग करते है। जबकी माननीय आमदार साहेब डायलेसिस एवं एम.आर.ई मशीन लगाने पर जोर दे रहे है

जबकि ना तो यहां पर समुचित डॉक्टर एवं कर्मचारी है और ना ही बुनयादी डॉक्टर जैसे ई.एन.टी,दांत, स्किन के डॉक्टर है। इमारत की स्थिती ऐसी है कि यदि उसको दुरुस्त नहीं कराया गया तो उसको दुर्घटनाग्रस्त होने से नहीं रोका जा सकता।

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