सही बैठा शिवसेना का नागरिकता संशोधन बिल पर किया गया खेल, मंत्रिमंडल विस्तार में फायदा
नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना सांसदों का लोकसभा में समर्थन और राज्यसभा में सभा त्याग का कारण अब साफ होने लगे हैं. आज देर शाम हुए राज्य के मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना द्वारा अनेक महत्वपूर्ण विभाग हथियाने लेने से यह साफ हो गया के नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना द्वारा लोकसभा में समर्थन से राज्य की सत्ता में सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर दवाव बनाने में सफल हो गई और इसी का परिणाम है कि आज मंत्रिमंडल के विभाग के बंटवारे में शिवसेना कोटे में अनेक महत्वपूर्ण विभाग आये.
विधानसभा चुनाव परिणाम आने के साथ ही अपने पूर्व सहयोगी भाजपा से बात नहीं बनती देख शिवसेना नेतृत्व ने पहले दिन से ही अन्य विकल्पों पर सोचना शुरू कर दिया था. लेकिन शिवसेना के लिए सबसे बड़ा मुश्किल काम था कांग्रेस का समर्थन पाना.
शिवसेना नेतृत्व ने इसके लिए शुरुआत से ही अनेक कुर्बानी दी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का विश्वास जीतने के लिए शिवसेना नेतृत्व ने शुरुआत से ही अनेक प्रयोग किए. उसी दौरान राम जन्मभूमि के पक्ष में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया था. हिंदुत्ववादी एजेंडे पर राजनीति करने वाली शिवसेना के लिए यह श्रेय लेने का यह अच्छा मौका था. और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने गत 24 नवंबर को अयोध्या जाने की भी घोषणा की थी.
सूत्रों के अनुसार सिर्फ राज्य में कांग्रेस का समर्थन पाने के लिए शिवसेना ने अयोध्या एजेंडे से मुंह मोड़ लिया. और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपना 24 नवंबर को अयोध्या जाने का प्रोग्राम भी रद्द कर दिया.
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि शुरुवात से कांग्रेस किसी भी हालत में हिंदूवादी एजेंडे की राजनीति करने वाली शिवसेना को सरकार गठित करने में सहयोग देने को तैयार नहीं थी और इसीलिए राज्य में कॉन्ग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना की सरकार बनने में 1 महीने से अधिक का समय लग गया.
सूत्रों के अनुसार इसी दौरान अगर अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस की खिचड़ी नहीं पकती तो कॉन्ग्रेस शिवसेना को समर्थन देने में और देर कर सकती थी. सरकार गठन के बाद मामला एक बार फिर मंत्रिमंडल के बंटवारे पर अटक गया.
एक तरफ जहां सरकार गठन के साथ ही शिवसेना राज्य के गृह खाते के साथ कुछ और महत्वपूर्ण विभाग पर नजर गड़ाए थी. वही शिवसेना को मुख्यमंत्री पद दिए जाने के बाद कांग्रेस नेता अपने पास राज्य के गृह एवं अन्य महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखने की जिद पर अड़े हुए थे. और इसी के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा था
शिवसेना के लिए लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का आना एक अच्छा मौका साबित हुआ. एक तरफ जहां कांग्रेस महत्वपूर्ण विभाग के लिए अड़ा हुआ था. वही शिवसेना नेतृत्व ने अकस्मात आए इस मौके को उपयोग कर बाजी अपने पक्ष में करने का मन बना लिया.
और इसी के लिए लोकसभा में शिवसेना सांसदों ने नागरिकता संशोधन बिल का खुलकर समर्थन करते हुए इसके पक्ष में मतदान किया. यह बात कांग्रेस के राज्य के नेताओं के साथ केंद्रीय स्तर के भी नेताओं को नागावर गुजरी.
लेकिन जब इस बारे में कांग्रेस नेताओं ने शिवसेना नेतृत्व से बातचीत की, तो उन्होंने कहा की हम राकपा और कांग्रेस के भरोसे ही भाजपा का त्याग किया है और जब शिवसेना को कांग्रेस का सहयोग सही ढंग से नहीं मिलेगा तो हमारे लिए भी विकल्प खुला हुआ है
उल्लेखनीय है कि लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल आने के ठीक 1 दिन पहले शिवसेना के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे मनोहर जोशी जोशी ने यह सार्वजनिक रूप से बोल दिया था की जल्द ही राज्य में शिवसेना और भाजपा की सरकार बनेगी. यह सब प्लानिंग शिवसेना नेतृत्व की पूरी तरह से सफल साबित हुई और आज हुए मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना ने अपने कोटे में राज्य के ज्यादातर महत्वपूर्ण मंत्रिमंडल समेट लिए.