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कल्याण में खड्डो के कारण हुए पांच मौत पर कोई कारवाई भी होगी या फिर सिर्फ स्टंटबाजी ??

राजेश सिन्हा

कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका क्षेत्र में बरसात शुरू होने के बाद सडके खराब होने के कारण 5 लोगों की जान सिर्फ 1 महीने के अंदर चली गयी. इसके विरुद्ध आज शनिवार को ठाणे जिले के पालक मंत्री एकनाथ शिंदे ने कल्याण के इन खड्डे युक्त सडको का निरिक्षण किया और इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कल्याण मनपा आयुक्त गिविंद बोडके को जमकर फटकार लगाई और उन्हें इन खड्डो के लिए दोषी मनपा अधिकारियों को यथा शीघ्र निलंबित करने के निर्देश दिए है.लेकिन क्या पालक मंत्री के आदेश पर मनपा आयुक्त कोई कारवाई करेंगे या फिर इसे  खड्डो के कारण हुए 5 मौतों से लोगो में उपजे आक्रोश को शांत करने के लिए शिवसेना नेता की बयानबाजी स्टंटबाजी मानी जाए.

ज्ञात हो की २ जून और ७ जुलाई को कल्याण के शिवाजी चोक के पास के सडक के गड्ढे में गिर कर दो लोगो की मौत हो गयी इसी तरह मलंग रोड पर दो और यहाँ के गांधारी पुल के पास एक युवक की मौत हो गई.हर जगह इन मौतों कारण बरसात के कारण सडको पर हुए  गड्ढे ही है

अब यहाँ बड़ा प्रश्न यह उठता है की सड़कें खराब क्यों होती है?

इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?

अगर मनपा प्रशासन,सार्वजनिक निर्माण विभाग या महाराष्ट्र राज्य सडक निर्माण महामंडल (एम् एस आर डी सी) द्वारा टेंडर निकाल कर इन सडको पर करोडो अरबो रुपये खर्च कर इन सडको का निर्माण करवाया जाता है तो फिर इन सडको पर खड्डे पड़ने पर सम्बन्धित ठेकेदारों पर कड़े कानूनी कारवाई का प्रावधान क्यों नहीं है ?

कमीशन खोरी के चक्कर में सरकारी अधिकारी इन ठेकेदारो से लचीला रुख क्यों अपनाने है.?

और सबसे अंत में कोई भी सडक बनाने में लाखो करोडो रुपये जनता के खर्च होते है. इसकी निगरानी के लिए सरकारी अधिकारी नियुक्त रहते है सडके ख़राब होती है मरम्मत में भी ऐसे ही पैसे खर्च होते है इसका कोई हिसाब क्यों नहीं ?

 पैसे अगर सडक निर्माण में खर्च हो रहे है तो फिर ये खराब क्यों होते है और खराब होने पर सम्बन्धित अधिकारी और ठेकेदार पर कड़े कानूनी कारवाई का प्रवधान क्यों नहीं है,?

क्या ऐसी सडके नही बन सकती जो जल्दी खराब नहीं हो ?

तर्क दिया जा सकता है की ऐसे सडको का निर्माण में खर्च ज्यादा आयेगा,लेकिन वर्ष में एक ही सडक के निर्माण और मरम्मत में दो तिन बार खर्च करने से अच्छा है एक बार ही क्यों नही खर्च किया जाए.?

सडक निर्माण से जुड़े सूत्र ही बताते है की केंद्र और राज्य से लेकर स्थानीय स्वराज्य संस्थाओ में सबसे ज्यादा भ्रष्ट्राचार सार्वजनिक निर्माण विभाग में ही होता है, यहाँ सडक निर्माण के हर टेंडर के साथ ५० से ६० प्रतिशत तक कमीशन खोरी होती है,अनेक सडके इन अधिकारियों द्वारा सिर्फ कागजो पर ही बनाई और मरम्मत की जाती है और पूरी रकम अधिकारी और ठेकेदार डकार जाते है

सूत्र के अनुसार अगर इन सम्बन्धित विभाग के अधिकारीयो की संपत्ति की जांच की जाए तो बिरले ही मिलेंगे जो करोड़पति नहीं होंगे.इसी सूत्र के अनुसार इस मलाईदार विभाग में पदस्थ होने या बने रहने के लिए सम्बन्धित अधिकारी को भी उपर से नीचे तक जेब गर्म करनी पडती है.

कल्याण में खराब सडको के कारण हुई 5 मौत पर जम कर राजनीती हो रही है लेकिन इस पर सकारात्मक प्रयास की जरूरत है पालक मंत्री एकनाथ शिंदे के आदेश के बाद कल्याण मनपा आयुक्त अगर सम्बन्धित अधिकारीयो पर कारवाई करते है तो निसंदेह ऐसे सार्वजनिक निर्माण में भ्रष्ट्राचार करने वाले लोगो को सबक मिलेगा.

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